tag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post1694966741108585188..comments2023-12-12T08:28:08.425-08:00Comments on मीमांसा -- : आओ देवता आओ !--कहानी रेणुhttp://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-79487753477422889702022-11-17T09:42:04.766-08:002022-11-17T09:42:04.766-08:00स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार और प्रणाम ...स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार और प्रणाम प्रिय अनीता जी 🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-17064612217358460292022-11-17T09:37:55.189-08:002022-11-17T09:37:55.189-08:00आपकी उपस्थिति और प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया के ल...आपकी उपस्थिति और प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिएहार्दिक आभार और प्रणाम 🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-62095130997239534262022-11-14T20:29:32.592-08:002022-11-14T20:29:32.592-08:00श्राद्ध का महत्व कितनी सरलता से समझा दिया है इस कह...श्राद्ध का महत्व कितनी सरलता से समझा दिया है इस कहानी में आपने, दिल को छूने वाली रचना!Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-84296382130511068692022-11-11T04:55:10.687-08:002022-11-11T04:55:10.687-08:00"सचमुच , नीम के नन्हे पौधों की तरह दादा जी घर...<br />"सचमुच , नीम के नन्हे पौधों की तरह दादा जी घर के हर सदस्य में नज़र आ रहे थे |" मन के पोर-पोर को भीगा गयी पंक्तियाँ!!!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-22001677968159498402022-11-09T08:04:13.137-08:002022-11-09T08:04:13.137-08:00आदरणीया मैम , अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण रचना , जब ...आदरणीया मैम , अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण रचना , जब पहली बार पढ़ी थी , तब मेरी आँखें भर आईं, सहसा नन्नन का भी स्मरण हो आया । आज दूसरी बार पढ़ी , मन को छूती , स्नेह और श्रद्धा से भरी हुई रचना मन को भावुक भी करती है पर हृदय में कहीं न कहीं एक चमक भी बिखेरती है । दादा और पोते का स्नेहिल सम्बद्ध और नीरज का अपने दादाजी के साथ समय बिताना और दादा जी का उसे संस्कारित करना और जीवन के बहुत से रहस्यों को सरलता से समझाना दिल को छु जाता है । हमारे दादा-दादी/ नाना -नानी हमारे सब से पहले और अच्छे गुरु होते हैं और मित्र भी । उनका स्नेह हमें सदा ही प्रेरित और दृढ़ करता है और शरीर छोड़ने के बाद भी वह सदा हमारे आस-पास होते हैं । अपने घर के बुजुर्गों के प्रति आदर और श्रद्धा भाव रखने का बहुत सुंदर संदेश । इस सुंदर रचना के लिए आपको बहुत -बहुत आभार एवं सादर प्रणाम । Ananta Sinhahttps://www.blogger.com/profile/14940662000624872958noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-6044449010403498462022-10-28T10:00:53.617-07:002022-10-28T10:00:53.617-07:00हार्दिक आभार आपका प्रिय मनोज जी।आपको भी शुभकामनाएं...हार्दिक आभार आपका प्रिय मनोज जी।आपको भी शुभकामनाएं और बधाई।रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-8711878973036308782022-10-28T10:00:00.872-07:002022-10-28T10:00:00.872-07:00हार्दिक आभार प्रिय भारती जी।हार्दिक आभार प्रिय भारती जी।रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-86803879885740348882022-10-23T22:25:37.969-07:002022-10-23T22:25:37.969-07:00सुन्दर कहानी। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ l...सुन्दर कहानी। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ lMANOJ KAYALhttps://www.blogger.com/profile/13231334683622272666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-15701433517351303522022-10-23T10:18:12.613-07:002022-10-23T10:18:12.613-07:00बहुत खूबसूरत कहानी, भाव विभोर कर गई बहुत खूबसूरत कहानी, भाव विभोर कर गई Bharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-9613739762864875312022-10-20T05:28:57.081-07:002022-10-20T05:28:57.081-07:00प्रिय वीरेंद्र जी,इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए ह...प्रिय वीरेंद्र जी,इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आपका।आपके विचारों से सन्तोष हुआ।असल में श्राद्धकर्म की कल्पना पूर्वजों के प्रति हमारी श्रद्धा को दर्शाने हेतु की गयी होगी।निश्चित रूप से हमारे पूर्वज थे तो हम हैं।उनके प्रति कृतज्ञता हमारी संस्कृति का मूल तत्व है।भले श्राद्ध के साथ पोंगा पण्डितों ने अपने स्वार्थ सिद्धि के कई रास्ते ढूँढ कर इसे विकृत करने की कोशिश की पर शिक्षित और सुलझे हुये लोग मानवता हित में कार्य कर अपने पूर्वजों के निमित्त एक श्रेष्ठ कर्म करते हैं जो समय की माँग भी है।रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-8893414054035200312022-10-20T05:17:41.098-07:002022-10-20T05:17:41.098-07:00हार्दिक आभार और अभिनंदन आदरणीया गिरिजा जी।आपका मेर...हार्दिक आभार और अभिनंदन आदरणीया गिरिजा जी।आपका मेरे ब्लॉग पर आना मेरा सौभाग्य है 🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-34323612372949126252022-10-20T05:16:33.571-07:002022-10-20T05:16:33.571-07:00हार्दिक आभार प्रिय मनोज जी।हार्दिक आभार प्रिय मनोज जी।रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-81627081603461725122022-10-20T05:16:07.109-07:002022-10-20T05:16:07.109-07:00हार्दिक आभार है आपका 🙏हार्दिक आभार है आपका 🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-35369209726814732152022-10-20T05:15:16.244-07:002022-10-20T05:15:16.244-07:00सही कहा आपने प्रिय जिज्ञासा!परंपराएं तब ज्यादा निभ...सही कहा आपने प्रिय जिज्ञासा!परंपराएं तब ज्यादा निभती थी जब लोग ज्यादा शिक्षित और तार्किक नहीं थे।आस्थाओं के तर्क नहीं होते।श्रद्धा एक सात्विक अंतरभाव है।यदि हम मानें तो श्राद्ध एक श्रद्धा कर्म है ना मानें तो अंध विश्वास मात्र।हार्दिक आभार आपका भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिए।रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-63674283380986882722022-10-20T05:11:02.800-07:002022-10-20T05:11:02.800-07:00इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ प्रिय कामि...इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ प्रिय कामिनी।जब तक हम किसी अपने के विछोह की पीड़ा में आकन्ठ डूबे होते हैं तर्को की ओर हमारा ध्यान नहीं जाता बस श्रद्धा प्रमुख होती है।जब श्रद्धा का आवरण उतरता है तब तर्क से सब दिखावा और झूठ दिखता है।जहाँ श्रद्धा वहीं श्राद्ध है सखी।रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-79451751551651575122022-10-11T03:59:53.125-07:002022-10-11T03:59:53.125-07:00दादा-पोते के स्नेह को दर्शाती आपकी यह कहानी आंखें ...दादा-पोते के स्नेह को दर्शाती आपकी यह कहानी आंखें नम कर गयी। चूँकि मैं श्राद्ध कर्म में विश्वास(और सारा खेल विश्वास का ही है) रखता हूँ लिहाजा कहानी और भी अच्छी लगी। यह कहानी आपकी प्रतिभा की रेंज को भी बता रही है। आप मूलत: एक साहित्यकार हैं। शब्दों से खेलने में आप माहिर हैं जो हर एक उम्दा लेखक को आना चाहिए। पाठक के मानस को आप बहुत अच्छे से समझती हैं। ऐसी और भी कहानियों की प्रतीक्षा रहेगी।आप को बहुत-बहुत बधाई।Vocal Babahttps://www.blogger.com/profile/02214260420282752358noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-78610496190082007692022-10-07T12:52:22.057-07:002022-10-07T12:52:22.057-07:00रिश्तों में स्नेह दर्शाती सुन्दर कहानी रिश्तों में स्नेह दर्शाती सुन्दर कहानी गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-37900393483097489342022-10-06T03:56:19.995-07:002022-10-06T03:56:19.995-07:00भावपूर्ण अभिव्यक्तिभावपूर्ण अभिव्यक्तिMANOJ KAYALhttps://www.blogger.com/profile/13231334683622272666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-24415847017393052672022-09-28T22:07:47.850-07:002022-09-28T22:07:47.850-07:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति ्बहुत सुन्दर प्रस्तुति ्Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-29520621680728507732022-09-27T06:17:13.409-07:002022-09-27T06:17:13.409-07:00श्राद्ध का संदर्भ लेकर अनगिनत संस्कारों और पारिवार...श्राद्ध का संदर्भ लेकर अनगिनत संस्कारों और पारिवारिक मूल्यों को संवर्धित करती बहुत ही उत्कृष्ट कहानी।<br />हमारी परंपराएं समय समय पे समाज को जाने कितने नैतिक मूल्यों को सहेजने का कार्य करती हैं, इनको गहराई से समझने के बाद पता चलता है, आज के समय की प्रासंगिक कहानी के लिए हार्दिक बधाई आपको।जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-4375689132306961492022-09-27T03:30:47.356-07:002022-09-27T03:30:47.356-07:00दादा के संस्कारों और परम्पराओं को पोता के द्वारा आ...दादा के संस्कारों और परम्पराओं को पोता के द्वारा आगे ले जाने की सीख देती सुन्दर कथा सखी, साथ ही संयुक्त परिवार का एक मनोरम दृश्य जो शायद ही अब कहीं देखने को मिलता है।ं औरजहां तक श्राद्ध कर्म की बात है तो इसमें दो राय नहीं कि पुरखों द्वारा संचालित प्रत्येक प्रथा के पिछे बहुत से वैज्ञानिक कारण थे। विकृत तो उसे हमने किया है। बहुत दिनों बाद मीमांसा पर आकर बेहद खुशी हुई। ढेर सारा स्नेह तुम्हें Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-41440593398819957762022-09-27T00:00:44.303-07:002022-09-27T00:00:44.303-07:00रेणु दी, दादा पोते के माध्यम से श्राद्ध, परंपरा, ब...रेणु दी, दादा पोते के माध्यम से श्राद्ध, परंपरा, बुजुर्गों के प्रति आदर एवं प्रेमभाव सभी कुछ बहुत ही सुंदरता से व्यक्त किया है आपने।Jyoti Dehliwalhttps://www.jyotidehliwal.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-64999346735120504792022-09-26T19:20:15.314-07:002022-09-26T19:20:15.314-07:00बहुत सुन्दर कहानी प्रिय रेणु जी ! कहानी पढ़ते समय ...बहुत सुन्दर कहानी प्रिय रेणु जी ! कहानी पढ़ते समय नीम के पेड़ तले मैं भी नीरज के साथ खड़ी हो गई । लाजवाब और बेहतरीन सृजन ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-62614775795538043432022-09-26T01:42:02.218-07:002022-09-26T01:42:02.218-07:00प्रिय दी,
अत्यंत भावपूर्ण एवं संदेशप्रद कहानी लिखी...प्रिय दी,<br />अत्यंत भावपूर्ण एवं संदेशप्रद कहानी लिखी हैं।<br />अपने बुजुर्गों का आभार व्यक्त करने के लिए, उनकी स्नेहिल स्मृतियों को ससम्मान भावी पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए श्राद्धपक्ष एक सशक्त माध्यम है।<br />अंधपरंपराओं का विरोध तो हम भी करते है।<br />वह आडंबर और ढ़ोंग जिससे भावी पीढ़ी के संस्कारों में मूढ़ता का विलय हो तो उसका समर्थन हम न करें इसका दायित्व हमपर है। कहानी में ऐसा कोई ढ़ोंगी समर्थन मुझे नहीं दिखा बल्कि अपने बड़ों के प्रति प्रेम ,पारिवारिक व्यवस्था का सुंदर विश्लेषण मन छू गया।<br />कौए, जो अत्यंत महत्वपूर्ण हैं पर्यावरण पारिस्थितिकीय संतुलन की दृष्टि से। जिन्हें पितरों के नाम पर कुछ खिला देने से किसी का भी कोई नुकसान नहीं है बल्कि पक्षियों और मनुष्यों के बीच स्नेह संबंध ही स्थापित होगा।<br />सस्नेह प्रणाम दी।<br />सादर।<br /><br /><br />Sweta sinhahttps://www.blogger.com/profile/09732048097450477108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4513713489953851491.post-36054298695411297312022-09-26T00:17:18.867-07:002022-09-26T00:17:18.867-07:00बहुत ही हृदयस्पर्शी मार्मिक कहानी । दादा की स्मृति...बहुत ही हृदयस्पर्शी मार्मिक कहानी । दादा की स्मृति में पोते के उद्गार बहुत ही भावपूर्ण ।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.com