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गुरुवार, 25 जुलाई 2019

कारगिल युद्ध --- _शौर्य की अमर गाथा



 कोई भी राष्ट्र कितना भी शांति प्रिय क्यों ना हो , अपनी सीमाओं की हर तरह से सुरक्षा करना उसका परम कर्तव्य है | यदि कोई देश अपनी सुरक्षा में जरा सी भी लापरवाही करता है उसे पराधीन होते देर नहीं लगती | , क्योंकि राष्ट्र की सीमाओं के पार बसे दूसरे राष्ट्र भी शांति प्रिय हों , ऐसा सदैव नहीं होता || भारत को भी समय -समय पर अपनी सीमाओं पर छद्म शत्रुओं से निपटना पड़ता है, जिनकी रक्षा के लिए एक विशाल सेना दिन रात निगरानी में तैनात रहती है | पर हर सजगता के बावजूद कभी ना कभी शत्रु मौक़ा ढूंढ ही लेते हैं ,जिसके लिए छोटे -मोटे प्रयास पर्याप्त नहीं होते और सीधे युद्ध की नौबत आ जाती है ||
भारत के पड़ोसी देश पकिस्तान से भारत के चार युद्ध हुए हैं , जिनमें पकिस्तान को हर बार करारी हार का सामना करना पड़ा है | इनका उद्देश्य कश्मीर पर अधिकार करना रहा है , जबकि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है , उसकी और देखने वाले शत्रु पकिस्तान को हर बार भारत ने कड़ा सबक सिखाया है |
दोनों के बीच शांति की कई संधियाँ और समझौते हुए , पर हर बार पकिस्तान ने इन सब को भुलाकर भारत को सताने में कोई कसर नहीं छोडी | 1948 , 1965, 1971 के बार 1999 के कारगिल युद्ध में भी भारतीय सेना से पाकिस्तानी सेना को मुंह तोड़ जवाब दिया |
क्यों खास है कारगिल ? कारगिल कश्मीर का एक सीमान्त क्षेत्र है , जिसपर मई 1999 में कश्मीरी उग्रवादियों के साथ पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ कर की कोशिश की थी , यही जिसके बारे में पाकिस्तानी सेना ने दावा किया था की घुसपैठिये कश्मीरी थे | जबकि लडाई में दस्तावेजों के आधार पर पता चला, कि पाक सेना उसमें सीधे तौर पर शामिल थी , जिसका मकसद छद्मयुद्ध से इस क्षेत्र पर कब्ज़ा करना था , ताकि बाद में सम्पूर्ण कश्मीर पर अधिकार जमा लिया जाये | पर ऐसा ना हो सका भारतीय सेना ने डटकर शत्रु का सामना किया और अंततः 26 जुलाई मे 1999 के दिन पाकिस्तानी सेना को खदेड़ विजय श्री प्राप्त की थी |
ताशी बने मसीहा ----- स्थानीय शेरपा ताशी नाग्याल को यदि कारगिल की लड़ाई का मसीहा कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति ना होगी | 2 मई 1999 को अपने अचानक गुम हुए याक को खोजने गए ताशी को, बर्फ़ में इंसानी पैरों के निशान दिखे जिसके बारे में उसने सेना के हवलदार को बताया , जिसने ताशी की सूचना को निराधार ना मानते हुए , त्वरित कदम उठाते हुए खोजबीन शुरू की | जिसे आधार पर उसी सप्ताह सेना को घुसपैठ के खिलाफ़ कार्यवाही करनी पडी जो 81 दिन तक चली और अंत में हमारी सेना ने विजयश्री हासिल करने में सफलता प्राप्त की | ये बात स्वीकार करनी होगी , यदि ताशी ने उस दिन हिम्मत और सूझबूझ ना दिखाई होती , तो इस घुसपैठ के परिणाम और भी भयंकर हो सकते थे | इस तरह ताशी का नाम कारगिल विजय के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया , जिसे लिए सेना ने ताशी को सम्मानित भी किया था और उनके परिवार की बेहतरी के लिए कई काम भी किये पर यह पर्याप्त नहीं | ताशी इससे भी कहीं अधिक सम्मान के अधिकारी हैं | उन्होंने अपनी जान की परवाह ना करते हुए मातृभूमि की सुरक्षा को अधिक महत्त्व दिया जिसके लिए राष्ट्र उनका ऋणी रहेगा |

ऑपरेशन विजय था नाम --- आज से ठीक 20 साल पहले , सेना ने कारगिल में अपनी कार्यवाही को ऑपरेशन विजय का नाम दिया , जिसकी सफलता के लिए 18 हजार फ़ीट की ऊँचाई पर ला लड़े गये इस यद्ध में भारतीय सेना के 527 से ज्यादा वीर जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था और 1300 से ज्यादा जवान घायल हुए थे साथ में एक कैप्टन नचिकेता को बंदी बनाया गया था | इसमें थल सेना के साथ वायुसेना ने भी कंधे के साथ कंधा मिलाकर अपनी विशेष भूमिका अदा की थी
| वायुसेना ने अपने विमानों से शत्रुसेना पर गोले बरसाए और मिसाइलों से भी हमले किये | कहते हैं कि विश्व युद्ध के बाद कारगिल की लड़ाई ही ऐसी थी जिसमें इतनी बड़ी संख्या में गोले बारूद का इस्तेमाल किया गया था | इसमें बड़ी संख्या में रॉकेट और बम छोड़े गये | एक अनुमान के अनुसार इसमें दो लाख पचास हज़ार गोले दागे गए , जिनके लिए 300 से ज्यादा मोर्टार , तोपों और रॉकेटन से काम लिया गया | लड़ाई के अंतिम 17 दिनों में तो हर रोज प्रतिदिन प्रति मिनट में एक राउंड फायर किया गया |

बिना किसी पूर्व तैयारी के लड़ा गया युद्ध --- कारगिल की लड़ाई के लिए ना तो कोई तैयारी थी ना पूर्व सूचना | यहाँ तक कि शेरपा ताशी की सूचना के आधार पर खोज खबर लेने गये , खोजी दस्ते के पांच सदस्य सैनिकों की भी पाकिस्तानी सेना ने निर्मम हत्या कर दी थी | इस कारण ये विश्व के सबसे जोखिम भरे युद्धों में से एक बन गया गया जिसके लिए वतन के दीवाने वीरों ने अपने अद्भुत पराक्रम और शौर्य का प्रदर्शन करते हुए माँ भारती की झोली में विजय श्री का तोहफा डाल दिया |जहाँ रणनीति , सैन्यबल और मारक अस्त्र भी काम ना आये , उनके अपने साहस और वीरता ने देश के भाल को झुकने नहीं दिया और राष्ट्र के सम्मान की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति ख़ुशी - ख़ुशी दे दी | वह लम्हा समय के भाल पर ठहरा अमर पल है जब वीरों ने कारगिल पर तिरंगा फहराया था |
बीस साल हुए पूरे -- कारगिल विजय को आज बीस साल पूरे हो गये | जिन परिवारों ने अपने होनहार लाल गंवाए उनकी पीड़ा की शायद ही कोई सांत्वना हो , पर उनके प्रति हम सम्मान में कभी कमी ना आने दें , यही उन वीरों के प्रति सच्चा सम्मान होगा | प्रत्येक कार्य के लिए सरकार पर निर्भर ना रहते हुए , स्थानीय स्तर पर खुद भी प्रयास कर वीर जवानों के बलिदान के सम्मान में ठोस कदम उठाने होंगे | वीरों का सम्मान इसलिए जरूरी है , कि आने वाली पीढियां उनके शौर्य और पराक्रम से प्रेरणा लेकर मातृभूमि के प्रति प्रतिबद्ध रहें ताकि शत्रु फिर कभी देश की ओर आँख उठाकर देखने का साहस ना कर सके | शहीदों के परिवारों के प्रति विशेष सम्मान देकर हम वीरों को सच्ची श्रद्धान्जलि दे सकते हैं |

दो शब्द शहीदों के नाम ---
वे भी किसी की आँखों का सपना
माता पिता के दुलारे थे
नन्हे बच्चों का संसार- सम्पूर्ण
बहनों के भाई प्यारे थे !

' तेरा वैभव रहे जग में
माँ दे अपना बलिदान चले ''
ये कहकर मिटे लाल माँ के
जो घर आंगन के उजियारे थे !

धुन थी ना झुके तिरंगा ,
तन जान भले ही मिट जाए ;
शत्रु ने लाख जतन किये -
पर ये दीवाने कब हारे थे ?

उनकी याद मिटादें जो ,
कहाँ हम सा कोई कृतघ्न होगा ?
उनकी क़ुर्बानी याद रहे ;
यही उनका पूजन -वन्दन होगा |
वीर शहीदों को कोटि कोटि नमन !!

 स्वरचित   -- रेणु
चित्र -- गूगल से साभार

32 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 26 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. प्रिय अनिता , मुखरित मौन मंच की तहेदिल से आभारी हूँ |

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  2. बहुत सुंदर। वाह! युद्ध के प्रारंभ की तह से लेकर इसके उपसंहार तक का अत्यंत सुंदर वृतसन्त आपने अपनी चिरपरिचित इतिवृत्तात्मक और मोहक शैली में परोसा है। बधाई और आभार।

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    1. आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए सदर आभार आदरणीय विश्वमोहन जी |

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  3. वाह बेहतरीन प्रिय सखी बहुत दिनों बाद आपका लेख पढ़ने को मिला बहुत सुंदर लिखा आपने,हमारे वीर जवानों ने कारगिल पर विजय प्राप्त करने के लिए अपनी ज़िंदगियाँ दांव पर लगा दी थी ।शहीदों की कुर्बानियों को कौन भूल सकता है उनके बलिदान से ही आज़ कारगिल की चोटी पर तिरंगा लहरा रहा है ।कारगिल युद्ध में शहीद देश के वीर सपूतों को शत् शत् नमन

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    1. प्रिय अनुराधा बहन आपके शब्द अनमोल हैं| सस्नेह आभार सखी |

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  4. बहुत सुंदर ज्ञानवर्धक लेख के साथ रची गयी आपकी भावपूर्ण देशभक्ति से परिपूर्ण रचना बहुत अच्छी लगी रेणु दी।
    अग्रलेख में कारगिल युद्ध के सूक्ष्म पहलुओं का विस्तृत दृष्टांत अत्यंत सराहनीय है दी।

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    1. पिय श्वेता , इस लेख का श्रेय प्रिय अनीता को जाता है जिसके स्नेह भरे आग्रह से ये लेख लिखा गया | तुम्हे पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ | सस्नेह आभार |

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  5. बहुत सार्थक लेखन
    अमर वीर शहीदों को शत-शत नमन!!

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  6. तारीफ़ करूं जितनी कम होगी ,
    रेणु बहन । बारिकियों से कारगिल युद्ध के हर पहलू पर प्रकाश डालता सांगोपांग आलेख, साथ ही बहुत सुंदर रचना प्रस्तुति ।

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    1. प्रिय कुसुम बहन , आपके स्नेहिल शब्द मेरे लेखन की ऊर्जा हैं | सस्नेह आभार आपका |

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  7. कारगिल युद्ध की वजह से फतह तक बहुत ही ज्ञानवर्धक लाजवाब लेख के साथ इतनी सुन्दर हृदयस्पर्शी बहुत ही सराहनीय रचना
    वाह रेणु जी बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं सखी !

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  8. बहुत खूब, युद्ध के आरंभ से अंत तक का बहुत विवेचनात्मक लेख।

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    1. प्रिय नृपेन्द्र , सस्नेह आभार | ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है आपका |

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  9. रेणु दी,कारगिल युध्द का शुरू से लेकर अंत तक बहुत ही विवेचनात्मक वर्णन किया हैं आपने। शहीदों के सम्मान में लिखी गई कविता तो बहुत ही लाजबाब हैं। बहुत ही सुंदर रचना दी।

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  10. बहुत ही अच्छा, बहुत सी अनकहीं बातों का उल्लेख और मन में वीर सैनिकों के बलिदान की शौर्य गाथा लिए लिखा गया आलेख ...
    नमन है मेरा सभी सैनिकों को, कारगिल के शहीदों को ... भारत सदा ऋणी रहेगा इनकी कुर्बानियों पर ...

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  11. क्षितिज ---- renuskshitij.blospot.com ब्लॉग नहीं खुलता है किसी और पन्ने पर ले जाता है? https://ucchvasrenu.blogspot.com/ पर टिप्पणी नहीं हो पाती है।

    शुभकामनाएं दीप पर्व की समस्त परिवार के लिये। लाजवाब लेखन और साथ में उतनी ही सुन्दर टिप्पणियों के लिये आभार।

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    1. आदरणीय सुशील जी, ये मेरा पुराना बहुत ब्लॉग है जिसे मैं रचनाओं के लिए कभी कभी प्रयोग करती हूँ । देर से उत्तर के लिए क्षमा चाहती हूँ 🙏🙏आपको भी मेरी हर्दिक शुभकामनाएँ। 🙏🙏

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  12. सराहनीय रचना

    नमन है मेरा सभी सैनिकों को, कारगिल के शहीदों को

    बधाई और आभार

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  13. निःशब्द करता लेखन ...नमन वीर शहीदों को

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    1. सादर आभार सदा जी, आपका स्वागत है मेरे ब्लॉग पर 🙏🙏

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  14. वाह अद्भुत रेणु बहन बहुत ही शानदार आपका लेख।
    वृहद जानकारी, लाजवाब व्याख्यात्मक शैली ।
    अभिनव अभिव्यक्ति।

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    1. प्रिय कुसुम बहन आपने लेख को पढ़कर इसे सार्थक किया , जिसके लिए सस्नेह आभार |

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  15. भावपूर्ण,ज्ञानवर्धक,संदेशपूर्ण सुंदर लेख। आगे कुछ नही बस आपकी लेखनी को जय हिंद और आपको कोटिशः प्रणाम करते हुए माँ भारती के वीर सपूतों को भावपूर्ण नमन 🙏

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    उत्तर
    1. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार और प्यार प्रिय आंचल |

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