करनाल की गिनती हरियाणा के अग्रणी शहरों में होती है | आजकल तो इसे हरियाणा के मुख्यमंत्री का शहर होने का गौरव भी प्राप्त है | करनाल में कई चीजें ऐसी हैं जो इसे विशेष दर्जा दिलाती हैं -- जैसे राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान केंद्र , शेरशाह सूरी की कोस मीनार , लघु सचिवालय , कर्ण लेक इत्यादि | सबसे ज्यादा महत्त्व इसकी ऐतहासिक पृष्ठभूमि का है | करनाल को दानवीर कर्ण की नगरी कहा जाता है | महाभारत के प्रमुख पात्र कर्ण के नाम पर ही इसे करनाल नाम दिया गया है | करनाल के बीचोबीच स्थित बाजार को आज भी कर्ण गेट के नाम से जाना जाता है | करनाल में विभिन्न जातियों व धर्मों के लोग बड़े ही सौहार्द भाव से मिलजुल कर रहते है | करनाल को हरियाणा की सांस्कृतिक नगरी भी कहा जाता है | हर पर्व पर यहाँ के जन जीवन में उत्साह देखते ही बनता है | यूँ तो यहाँ हर त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है , पर बसंत -पंचमी पर अनोखा जोश देखने में आता है | इस दिन पतंगबाजी की पुरानी परम्परा है | बुजुर्ग , बच्चे या जवान पतंगबाजी का जादू हर एक के सर चढ़कर बोलता है | बसंत पंचमी के दिन प्रायः हर छत से पतंगबाजी होती देखी जा सकती है | कहीं -कहीं युवाजन व बच्चे ऊँची आवाज में संगीत की व्यवस्था करके पतंग उड़ाते हैं | अक्सर बसंत- पंचमी से पहले ही बाजारों में पतंग व डोर की खूब बिक्री शुरू हो जाती है - पर इस दिन तो पतंगबाजी के शौकीन जमकर पतंगे खरीदते हैं और उड़ाते हैं | एक अनुमान के अनुसार इस दिन कर्णनगरी में करोड़ों रूपये की पतंगे खरीदी व उड़ाई जाती हैं इसके बाद आपस में मुकाबले के दौर भी चलते हैं | परी , तिरंगा, बुढा, गिलासा इत्यादि नामों से पुकारे जाने वाली रंग - बिरंगी पतंगों से आसमान भर जाता है | ये विहंगम दृश्य बड़ा ही लुभावना होता है | बच्चों के उत्साह की तो कोई सीमा ही नहीं होती |आसमान में उडती पतंगों को निहारते बच्चे हर गली हर कूचे में नजर आते हैं |सच तो ये है कि पतंगबाजी की ये परम्परा पूरे शहर को नए उत्साह व उल्लास से भर देती है | हालाँकि कभी -कभी पतंगबाजी के अति उत्साह में कई अप्रिय घटनाएं भी घट जाती हैं जैसे गली , मुहल्लों व सडकों से गुजरते लोग पतंगों की डोर में उलझ कर घायल हो जाते हैं ,तो अनेक पक्षी भी इनसे घायल हो अपनी जान गवां बैठते हैं |असावधानी से पतंगबाजी करते कई बच्चे भी घायल हो जाते हैं और कई बार अपनी जान से हाथ धो बैठते है | पर इन सब के बावजूद भी बसंत पंचमी पर पतंगबाजी ने करनाल को एक अनोखी पहचान दिलवाई है । दूसरे शब्दों में कहें करनाल में बसंत पर पतंगबाजी नहीं बल्कि करनाल में पतंगबाजी का बसंत मनता है | यह त्यौहार सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया है |
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सोमवार, 22 जनवरी 2018
करनाल में पतंगबाजी का बसंत -- लेख --
करनाल की गिनती हरियाणा के अग्रणी शहरों में होती है | आजकल तो इसे हरियाणा के मुख्यमंत्री का शहर होने का गौरव भी प्राप्त है | करनाल में कई चीजें ऐसी हैं जो इसे विशेष दर्जा दिलाती हैं -- जैसे राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान केंद्र , शेरशाह सूरी की कोस मीनार , लघु सचिवालय , कर्ण लेक इत्यादि | सबसे ज्यादा महत्त्व इसकी ऐतहासिक पृष्ठभूमि का है | करनाल को दानवीर कर्ण की नगरी कहा जाता है | महाभारत के प्रमुख पात्र कर्ण के नाम पर ही इसे करनाल नाम दिया गया है | करनाल के बीचोबीच स्थित बाजार को आज भी कर्ण गेट के नाम से जाना जाता है | करनाल में विभिन्न जातियों व धर्मों के लोग बड़े ही सौहार्द भाव से मिलजुल कर रहते है | करनाल को हरियाणा की सांस्कृतिक नगरी भी कहा जाता है | हर पर्व पर यहाँ के जन जीवन में उत्साह देखते ही बनता है | यूँ तो यहाँ हर त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है , पर बसंत -पंचमी पर अनोखा जोश देखने में आता है | इस दिन पतंगबाजी की पुरानी परम्परा है | बुजुर्ग , बच्चे या जवान पतंगबाजी का जादू हर एक के सर चढ़कर बोलता है | बसंत पंचमी के दिन प्रायः हर छत से पतंगबाजी होती देखी जा सकती है | कहीं -कहीं युवाजन व बच्चे ऊँची आवाज में संगीत की व्यवस्था करके पतंग उड़ाते हैं | अक्सर बसंत- पंचमी से पहले ही बाजारों में पतंग व डोर की खूब बिक्री शुरू हो जाती है - पर इस दिन तो पतंगबाजी के शौकीन जमकर पतंगे खरीदते हैं और उड़ाते हैं | एक अनुमान के अनुसार इस दिन कर्णनगरी में करोड़ों रूपये की पतंगे खरीदी व उड़ाई जाती हैं इसके बाद आपस में मुकाबले के दौर भी चलते हैं | परी , तिरंगा, बुढा, गिलासा इत्यादि नामों से पुकारे जाने वाली रंग - बिरंगी पतंगों से आसमान भर जाता है | ये विहंगम दृश्य बड़ा ही लुभावना होता है | बच्चों के उत्साह की तो कोई सीमा ही नहीं होती |आसमान में उडती पतंगों को निहारते बच्चे हर गली हर कूचे में नजर आते हैं |सच तो ये है कि पतंगबाजी की ये परम्परा पूरे शहर को नए उत्साह व उल्लास से भर देती है | हालाँकि कभी -कभी पतंगबाजी के अति उत्साह में कई अप्रिय घटनाएं भी घट जाती हैं जैसे गली , मुहल्लों व सडकों से गुजरते लोग पतंगों की डोर में उलझ कर घायल हो जाते हैं ,तो अनेक पक्षी भी इनसे घायल हो अपनी जान गवां बैठते हैं |असावधानी से पतंगबाजी करते कई बच्चे भी घायल हो जाते हैं और कई बार अपनी जान से हाथ धो बैठते है | पर इन सब के बावजूद भी बसंत पंचमी पर पतंगबाजी ने करनाल को एक अनोखी पहचान दिलवाई है । दूसरे शब्दों में कहें करनाल में बसंत पर पतंगबाजी नहीं बल्कि करनाल में पतंगबाजी का बसंत मनता है | यह त्यौहार सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया है |
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पतंगबाजी का बसंत....उत्साह और उमंग। वाह👌
जवाब देंहटाएंआदरणीय पुरुषोत्तम जी --- आपके शब्दों से गदगद हूँ | सादर आभार --
हटाएंवसंतपंचमी की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय विश्वमोहन जी -- आपके लिए भी माँ शारदे का ये उपासना पर्व शुभता और यश लेकर आये | हार्दिक आभार |
हटाएंबसंत पंचमी की हार्दिक शभकामनाएं
जवाब देंहटाएंप्रिय नीतू -- आप को भी माँ सरस्वती शुभता और यश की आशीष प्रदान करती रहे | हार्दिक आभार |
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
मंगलवार 12 फरवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1306 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
आदरणीय रवीन्द्र जी -- हार्दिक आभार इस लघु लेख को पांच लिंक का हिस्सा बनाने के लिए | बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें |
हटाएंकरनाल के ऐतिहासिक परिचय के साथ वहाँ की बसंत पंचमी और पतंगबाजी का बहुत रोचक वर्णन....।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रिय सुधा बहन |
हटाएंवसंत पंचमी के दिनों का आनंद जो बचपन में हुआ करता था ... आज बहुत कम दिखाई देता है ...
जवाब देंहटाएंपिछले कुछ समय से दुबारा ऐसे उत्सव और पर्व पुनः सामाजिक रीति में आ रहे हैं तो अच्छा लगता है देख कर ... आपने बहुत रोचक और जानकारी के साथ इसे प्रस्तुत किया है ... बहुत बहुत शुभकामनायें ....
आदरणीय दिगम्बर जी -- मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि आपने इस छोटे से लेख को पढ़कर इसका मान बढ़ाया | सादर आभार आपका |
हटाएंरोचक जानकारी के साथ वर्णन.. बहुत बढिया।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी पम्मी जी |
हटाएंबसंत पंचमी पर पतंगबाजी ,एक नयी जानकारी मिली रेणु दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लेख है करनाल पर।
हाँ भैया हमारे शहर में बसंत पंचमी बहुत ही उल्लास लेकर आता है | बच्चे और बड़े बड़े उत्साहसे इसे मनाते हैं | पतंगबाजी से इसकी शोभा में चार चाँद लग जाते हैं | सस्नेह आभार आपका |
हटाएंबहुत सुंदर आलेख
जवाब देंहटाएंआदरणीय ज्योति सर -- आपका हार्दिक स्वागत और आभार इस लेख को पढने के लिए |
हटाएंपतंग बेहद लोकप्रिय है मगर बेचारे पक्षी इसे समझ नहीं पाते ...
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा सतीश जी। सादर आभार और शुभकामनाएं 🙏🙏
हटाएंबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ सखी । सुंदर आलेख ।
जवाब देंहटाएंआपको भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं प्रिय शुभा जी। आपके स्नेह की आभारी हूँ ❤❤🙏🌹🌹
हटाएंलखनऊ में मकर संक्रांति पर जमघट लगता है और इस दिन पतंगबाज़ी की प्रतियोगिताएँ भी होती हैं.
जवाब देंहटाएंभारत में पतंगबाज़ी कई धार्मिक उत्सवों से जुड़ी है. उत्साह, उमंग और रोमांच का यह खेल बूढ़ों को भी जवान बना देता है.
आपने बहुत बढिया जानकारी दी आदरणीय गोपेश जी। लखनऊ अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है ।पंतगबाजी जड़ जीवन में चैतन्य भरती है।। सादर आभार आपका।
हटाएंपतंगबाजी का बसन्त। बहुत सुंदर आलेख।
जवाब देंहटाएंबहुत- बहुत आभार ज्योति जी।
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