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रविवार, 8 जुलाई 2018

ब्लॉगिंग का एक साल ---------आभार लेख

बस,एक छोटा सा 'आभार' कम कर देगा जीवन ... निरंतर प्रवाहमान होते अपने अनेक पड़ावों से गुजरता - जीवन में अनेक खट्टी - समय निरंतर प्रवहमान होते हुए अपने अनेक पड़ावों से गुजरता हुआ - जीवन में अनेक खट्टी मीठी यादों का साक्षी बनता है,  जिनमे से कई पल  अविस्मरणीय   बन जाते हैं|
पिछले साल शब्द नगरी से जुड़ना भी मेरे लिए एक यादगार लम्हा बन कर रह गया  |
जनवरी 2017 में   शब्द नगरी  पर  लेखन शुरू करने से पहले मैंने  नहीं सोचा था कि मेरा टिप्पणी लिखने के लिए बनाया गया अकाउंट  लेखन के काम भी आयेगा | अकाउंट बनाकर  मैंने सबसे पहले किसी रचना पर  टिप्पणी करने से पहले ही एक छोटा सा लेख शब्द नगरी पर पोस्ट कर दिया | उस समय 12 वीं कक्षा  में पढ़ रही मेरी बेटी ने इस काम में मेरी उत्साहित हो मदद की क्योकि उस समय  मुझे इंटरनेट पर पढने के अलावा कुछ  नही आता था |    पहले ही लेख पर तीन चार लोगों के उत्साहवर्धन करने वाली  टिप्पणियों ने मुझे असीम ख़ुशी से भर दिया |और ये लेखन यात्रा चल निकली |    कभी समय काटने के लिए     वर्षों पहले लिखी कविताओं के नाम पर रचनाएँ भी पोस्ट की ,उन्हें भी  पाठकों  ने  पढकर उत्साह बढ़ाया | पर  तब  तक  मैंने ब्लॉग बनाने के बारे में     बिलकुल नहीं सोचा था |  क्योंकि   कई साल पहले मैंने इंटरनेट पर पढ़कर एक  आधा अधूरा ब्लॉग बनाया था पर  मुझे पोस्ट लिखकर उसे शेयर करना ही नहीं आया , अतः वह ब्लॉग  कभी  भी औपचारिक रूप में अस्तित्व में नही आ पाया |उसके बाद मुझे कभी  विश्वास नही हुआ कि मेरा ब्लॉग बन सकता है और  उसे लोग पढ़ भी सकते  हैं | मई महीने में  एक  अत्यंत स्नेही,गुरुतुल्य  सहयोगी रचनाकार   ने  मुझे   अभूतपूर्व    प्रोत्साहन    देते हुए   , अपना ब्लॉग बनाने का सुझाव दिया | पर  ब्लॉग का पुराना  अनुभव मुझे बहुत हतोत्साहित कर रहा था | फिर भी  उनकी अभूतपूर्व  प्रेरणा से ,         गर्मी की छुट्टियों  में अपने मायके जाकर  अपने छोटे भाई  से , जो कि एक सुदक्ष  सॉफ्टवेर   इंजीनियर  है , से  ब्लॉग बनाने का आग्रह किया और मेरे लौटने से मात्र कुछ घंटे पहले ही उसने क्षितिज  नाम से मेरा  ब्लॉग बना दिया  | अंततः     ब्लॉग जिसपर ज्यादा विकल्प नही थे अस्तित्व में आ गया |पर  महीने से ज्यादा  होने के बाद  भी मैंने उस पर कोई रचना नहीं डाली क्योकि मुझे नही लगता था   मंजे हुए रचनाकारों के बीच कोई मुझे भी पढेगा | इसी  बीच  आदरणीय  रंगराज अयंगर   जी  ने मुझे अपने ब्लॉग पर आमंत्रित किया | वहां आकर मैंने देखा जो लोग शब्द नगरी पर सक्रिय थे, उनमें  से कई  लोग ब्लॉग जगत के सशक्त हस्ताक्षर हैं | उन्ही के ब्लॉग पर से जाकर   कई सक्रिय रचनाकारों   के  ब्लॉग का अवलोकन किया  और मेरे भीतर भी  अपना ब्लॉग  शुरू करने की इच्छा हुई |किसी तरह से साहस  बटोर कर मैंने  8 जुलाई की रात को गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में ,   गुरुदेव को कोटि नमन  करते हुए 'श्री गुरुवैय  नमः'  नाम से लेख लिखा |    मुझे हरगिज यकीन नहीं था  , कि  कोई मेरा ब्लॉग पढ़ेगा  ,पर अगली  सुबह  जब मैंने ब्लॉग देखा तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा |  प्रिय  श्वेता सिन्हा ने अपने कर कमलों द्वारा स्नेहासिक्त शब्द लिख मेरे ब्लॉग का उद्घाटन कर दिया था  और मेरी  सुखद  लेखन  यात्रा का संकेत दे दिया   | उसी पोस्ट पर ब्लॉग जगत और मेरे शब्दनगरी के परिचित सहयोगियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर  मेरा उत्साह बढ़ाया  |  यहाँ तक कि  आदरणीय बहन यशोदा जी भी उस दिन  मेरे ब्लॉग पर आई और कुछ शब्द लिखे |उसी दिन प्रिय ध्रुव सिंह एकलव्य  ने इसी पोस्ट को अगले दिन के पञ्च लिंकों  के  में लेने का आहलादित करने वाला समाचार दिया | उस शुभ दिन के बाद मेरे सहयोगी रचनाकारों  और स्नेही पाठक वृन्द  ने मेरे उत्साहवर्धन में कोई कमी नहीं छोडी  और पग- पग पर  मुझे प्रोत्साहन देकर मेरी रचनाओं का मान बढाया और मुझे मेरे ब्लॉग की कमियों से भी परिचित करवाकर उसे बेहतर बनाने में मदद की | पहले मेरा  तकनीकी  पक्ष बहुत कमजोर था, पर धीरे - धीरे मैंने कई चीजें सीखी और   गद्य केलिए   बसंत  पंचमी पर नया ब्लॉग   ''मीमांसा '' बिना किसी की मदद के खुद बनाया , जिसे भी पाठकों का भरपूर स्नेह और सहयोग मिला | आज  दोनों  ब्लॉग पर    कुल मिलकर    ८०प्रकाशित रचनाएँ हैं   जिनमे से एक को भी पाठकों ने अनदेखा नही किया | और पांच लिंकों के अलावा आदरणीय  राकेश कुमार  राही जी की मित्र मण्डली , प्रिय ध्रुव  के लोकतंत्र संवाद और  आदरणीय सर  मयंक  जी के चर्चा मंच  की सदा आभारी रहूंगी , जिन्होंने अपने मंच से जोड़कर रचनाओं को अनगिन   पाठकों  तक  पहुँचाया   | 
कभी घर की चारदीवारी में सिमटी एक   साहित्य प्रेमी गृहिणी  के लिए इससे बढ़कर सुखद  कुछ भी नही हो सकता कि एक ब्लॉग के माध्यम से कितने  ही स्नेहिल लोगों से परिवार तुल्य स्नेहासिक्त आभासी रिश्ते बने  और घर बैठे ही  एक पहचान बनी | यूँ तो जीवन एक बहुत ही सुखद  पडाव पर था |  घर में माता - पिता के  सानिध्य में विवाह के बाद बीस साल से ज्यादा  बड़े ही सुखद बीते   |  दोनों बच्चों  ने    अपनी शिक्षा की राह चुनकर उड़ान भरी ,  तो मन में  अकेलेपन  से एक उदासी व्याप्त हो गई-- और लगने लगा   कि कुछ है जो  नहीं था | शायद अपनी रचनात्मकता को साकार करने  की  इच्छा शेष थी | ब्लॉग  ने आभास करवाया कि बहुत बड़ी कमी थी  जिससे  अनजान   थी| शब्दनगरी  से ही  साहित्य प्रेमियों और साहित्य साधकों का  सानिध्य पाया  और उस स्नेह को जिया तो जैसे जीवन में एक नई आशा का उदय हुआ | कभी सोचती थी की ब्लॉग पर लिखूंगी क्या ? पर अब ऐसा नहीं है  | ना जाने कौन सी प्रेरणा अपने आप नए  विषय पर    लिखवा देती ।है | बहुत से दिव्य अनुभवों से गुजरकर आज अभिभूत हूँ  और उस स्नेह के लिए मेरे पास पर्याप्त शब्द नही जो मुझे  पाठकों ने दिया | मंच पर मौजूद  अनेक राज्यों  के रचनाकारों के माध्यम से उनकी संस्कृति , लोक त्योहारों  , लोक कलाओं और संगीत  से परिचय हुआ | मुझे अक्सर ये लगता है कि ब्लॉग्गिंग का ये मंच  एक विद्यालय है जिसमे  उम्र  , जाति धर्म  से ऊपर  उठकर  सभी लोग एक - दूसरे से रोज कुछ ना कुछ सीख रहे हैं और भारत की विभिन्न  संस्कृतियों को एक  -दूसरे के पास लाने का सराहनीय और वन्दनीय  प्रयास  कर रहे हैं |
परिवार में कभी किसी ने मेरा ब्लॉग देखने अथवा पढने की कोशिश नहीं की , पर मुझे  तकनीकी सहयोग पूरा दिया है | मेरे कंप्यूटर  के अलावा बिटिया ने मोबाइल में भी मुझे हिन्दी  लिखने का ज्ञान दिया | इसके अलावा मेरी रूचि को सम्मान देते हुए पतिदेव ने   कभी  मुझे हतोत्साहित   नहीं   किया |

आज मेरे ब्लॉग के एक साल पूरा होने के अवसर पर  ,  उन सभी उदार,  सहृदय पाठकों और सहयोगियों  को मेरा हार्दिक आभार ,  जिन्होंने मुझ अपरिचित को अपनाकर    अतुलनीय स्नेह दिया और मेरी रचनात्मकता को नये आयाम और कल्पना शक्ति को नया आकाश दिया    | साथ में  मेरा आत्मविश्वास बढाकर मुझे  एक पहचान दी |आज किसी अनाम शायर की ये पंक्तियाँ मुझे स्मरण हो आई है जिनके माध्यम से कहना चाहती  हूँ |  ---
जब तक बिका ना था कोई पूछता ना था -
तुमने मुझे खरीद कर अनमोल  कर  दिया !!!!!
 सभी को सादर , सस्नेह आभार  और नमन
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गूगल प्लस से साभार अनमोल टिप्पणी 
  • 28w
  • Kusum Kothari's profile photo
    रेनू बहन तिथि के हिसाब से आपने ब्लॉग जगत पर आज एक साल पुरा किया उसके लिये आपको बहुत बहुत बधाई।
    आज आप ब्लॉग जगत के जाने माने किरदार है, आप को सदा उतरोतर बढोतरी की शुभकामनाएं पेश करती हूं सदैव उच्चता को बढते रहें।
    REPLY
    28w
  • amansingh charan's profile photo
    beautiful written for Guru ..
    REPLY
    28w
  • Renu's profile photo
    Renu+1
    प्रिय बहन कुसुम -- आपके सराहना भरे शब्दों के लिए बहुत बहुत आभार | अपने सच कहा आज एक साल पहले इसी लेख से ब्लॉग जगत से जुडी थी | एक सहयोगी रचनाकार ने मुझे ब्लॉग जगत की राह दिखाई थी जिसके उनकी सदा ऋणी रहूंगी और पाठकों और आप जैसी सहृदय सहयोगी बहनों ने मुझे जाना पहचाना बना दिया | आपकी शुभकामनायें अनमोल हैं | और पिछले साल गुरु पूर्णिमा 9 जुलाई को थी अतः इस 8 जुलाई को मैंने मीमांसा ब्लॉग पर आभार लेख लिखा था पर किसी से ज्यादा पढ़ा नहीं | पर मेरा आभार है मेरे सभी पढने वालों के लिए | आपको आभार नहीं बस मेरा प्यार
    28w
  • ------------------------------------------------------------------------------------



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49 टिप्‍पणियां:

  1. निमंत्रण विशेष : हम चाहते हैं आदरणीय रोली अभिलाषा जी को उनके प्रथम पुस्तक ''बदलते रिश्तों का समीकरण'' के प्रकाशन हेतु आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ जुलाई २०१८ को अपने आगमन के साथ उन्हें प्रोत्साहन व स्नेह प्रदान करें। सादर 'एकलव्य' https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  2. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ जुलाई २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।



    आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति मेरा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'



    विशेष : हम चाहते हैं आदरणीय रोली अभिलाषा जी को उनके प्रथम पुस्तक प्रकाशन हेतु आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच पर अपने आगमन के साथ उन्हें प्रोत्साहन व स्नेह प्रदान करें। 'एकलव्य'

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    1. प्रिय ध्रुव -- इस रचना यात्रा में आपका सहयोग अविस्मरनीय रहेगा | सस्नेह आभार आपका |

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  3. आप हसी प्रकार आगे बढते रहें। मेरी भी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी -- आपके उत्साहवर्धन और सहयोग की आभारी रहूंगी | सादर --

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  4. हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ .

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  5. रेणु दी ब्लॉग पर आपका सफर पूरी तरह से सफल है। यही नहीं हमारे जैसे नये अनजान व्यक्ति की भी आपने मदद की है। मां सरस्वती की कृपा आप पर बनी रहे और इसी तरह से आपके ब्लॉग पर मित्र मंडली बढ़ती रहे, यही चाहता हूं। हां,आपकी लिखी कहानियां मुझे बहुत पंसद आती हैंं। साहित्यप्रेमी मैं कुछ खास तो हूं नहीं, फिर भी आपकी कविताएं प्रकृति के करीब रहती हैं। हमारे लिये भी आप एक प्रेरणा स्रोत ही हैं।हालांकि मेरे इस छोटे से शहर में ब्लॉग लेखन शायद ही कोई कोई करता है। फिर भी मैं जो कुछ अपनी भावनाओं को लिखता हूं, उसे आप निश्चित पढ़ती हैं, इतना पता है। आप इसी तरह से रचना करती रहें, बस यही कामना है।

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    उत्तर
    1. प्रिय शशी भाई -- आपका स्नेह अनमोल है और किसी आभार से परे है | आप साहित्य प्रेमी ना होते हुए भी मेरा लिखा पढ़कर उसे सार्थक बनाते हैं ये बात मेरे लिए कम महत्वपूर्ण नहीं | आप जैसे स्नेहीजनों ने मेरी रचना -यात्रा को सफल बनाने में अतुलनीय सहयोग दिया है | आपके लिए आभार नहींबस मेरी स्नेह भरी शुभकामनायें |

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  6. उत्तर
    1. आदरणीय विश्वमोहन जी -- आपकी शुभकामनायें अनमोल हैं | सादर आभार एवं नमन |

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  7. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-07-2018) को "अब तो जम करके बरसो" (चर्चा अंक-3028) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    उत्तर
    1. आदरणीय सर -- सादर नमन आपके अतुलनीय सहयोग के लिए |

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  8. आपका लेखन उत्कृष्ट है और दिल से सृजित होता है,
    बहुत बहुत बधाई

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    1. आदरणीय लोकेश जी -- आप जैसे कलम के धनी रचनाकार की सराहना मेरे लिए अनमोल है | आपके सहयोग की आभारी रहूंगी |

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  9. मेरी प्यारी दी,
    आपका यह बेहद हृदयस्पर्शी संस्मरण भावुक गया। आपकी प्रतिभा और रचनात्मकता ने अपनी राह ढूँढ ली है दी अब आपको आसमान के सितारों को छूने से कोई नहीं रोक सकता।
    आपका लेखन कौशल निःसंदेह बेहद उच्चकोटि का है।
    आप ब्लॉग जगत ही नहीं वरन् संपूर्ण साहित्य जगत में अपनी लेखनी का ओज फैलाती रहे यही कामना करते है।
    माँ शारदा के आशीष से आपको आपकी मनोवांछित मंजिल मिले बस यही चाहेंगे।
    मेरी हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करिये दी।
    सादर।

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    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता -- आपके स्नेह भरे शब्दों का कोई जवाब नहीं मेरे पास | आपने जिस तरह से अभूतपूर्व स्नेह के वश एक बार गलती से मिटी आपकी टिप्पणी को दुबारा लिख बहाल किया वो अनमोल है | मेरा आभार नहीं सिर्फ प्यार और दुआएं | और आप जैसी बहनों को पाकर मैंने आसमान तो छू लिया मेरी बहन | मेरी छोटी बहन सरस्वती सुता श्वेता ने अपने मुबारक हाथों से ब्लॉग जगत में मेरी उपस्थिति का स्वागत जो किया था | इस रचनात्मकता की राह पर मेरी सबसे बड़ी पूंजी ये स्नेह ही है जो अनमोल है इसके आगे निशब्द हूँ |पुनः मेरा प्यार बस |

      हटाएं
  10. उत्तर
    1. आदरणीय हर्ष जी -- आपके सहयोग की आभारी रहूंगी |

      हटाएं
  11. प्रिय बहन रेनू ,ढेरों शुभकामनाओं के साथ ईश्वर से यही प्रार्थना करूँगी कि आपकी कलम ऐसे ही निरंतर चलती रहे ..।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय शुभा बहन -- आपकी शुभकामनायें अनमोल हैं सादर ,सस्नेह आभार आपका |

      हटाएं
  12. बहुत शुभकामनाएं प्रिय रेणु दी,आपकी यह यात्रा निर्बाध चलती रहे, आपका लिखा एक एक शब्द आपकी अनुभूति व्यक्त कर रहा है। सचमुच ब्लॉग एक पाठशाला की ही तरह है जहां नित नया सीखने को मिल रहा ,बड़े बड़े लोगो का एक छोटी सी टिप्पणी करना मन को उत्साह से भर देता है ।पहले पहल मैंने जब आपकी लंबी प्रतिक्रियाएं देखी थी तब सोचती थी कि दी इतना कैसे लिख लेती है परन्तु अब समझ आ रहा है ,आप सब मेरी प्रेरणा है आप लोगों को पढ़ते हुए मैंने भी लिखना शुरू किया है ।अभी तकनिकी ज्ञान शून्य है जिसके कारण कई बार थोड़ी परेशानी होती है ,अभी 3-4 दिनों से मेरा googal प्लस का अकाउंट खाली हो गया है कुछ भी नही दिख रहा उसे लेकर परेशान हूँ ,आपके स्नेह के वशीभूत हो आपसे अनुजा की तरह अपनी परेशानी या दुख भी बांट लेती हूं ।

    जवाब देंहटाएं
  13. प्रिय दीपाली -- आपके स्नेह भरे सद्भावों से मन बाग़ -बाग़ हो गया |इन शुभकामनाओं के लिए आभार नहीं बस मेरा प्यार |और आपने मुझसे कुछ सीखा कहना आपका बडप्पन और विनम्रता है अन्यथा मैं देखती हूँ कि आपके लेखन में पहले ही बहुत परिपक्वता और सधापन है | मुझे अपने लेखन से ज्यादा ख़ुशी इस मंच पर मिल रहे स्नेह से है जिसमे मंच पर मौजूद मेरी सभी बहनों निष्कलुष भाव से अभूतपूर्व स्नेह का प्रदर्शन किया है | और आप जरुर सीखते -सीखते किसी रोज बहुत अच्छा तकनीकी ज्ञान हासिल कर लेगीं मेरा विशवास है |बस सीखने का जज्बा रखिये | मेरे ब्लॉग पर भी आजकल टिप्पणी सीधा प्रकाशित होने में परेशानी है | वैसे तो मुझे लगता है आपको ये पता जरुर होगा पर अगर नहीं तो आप अपने मेल बॉक्स - जहाँ आपकी फोटो लगी होती है -के ऊपर बने नौ डॉट्स को क्लिक करेंगी तो सारे विकल्प वहीँ मौजूद होते हैं | मैं तो अपना गूगल प्लस और ब्लॉग वहीँ से संचालित करती हूँ |जरुर आपका गूगल प्लस नजर आने लगेगा | वैसे मैंने खोल कर देखा था आपका अकाउंट बिलकुल सुरक्षित है और नजर भी आ रहा है | और अनुजा की तरह नहीं मेरी अनुजा ही हो | खुश रहिये बस |

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    1. आपसे सदा ऐसे ही स्नेह पाती रहूंगी यही आशा करती हूं।🙏😘

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  14. हृदयस्पर्शी संस्मरण ढेरों शुभकामनाओं के साथ
    शहर से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया

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    उत्तर
    1. प्रिय संजय -- आपकी अनमोल शुभकामनाओं के लिए मेरा सस्नेह आभार | आप ने देर ही सही ब्लॉग पर लेख पढ़कर मुझे अपार ख़ुशी दी | आपके स्नेह भरे शब्द अनमोल हैं मेरे लिए |

      हटाएं
  15. कभी भी शुरुआत हो ... अच्छी हो निरंतर हो सहज हो तो लिखना और सभी का विकास साथ साथ होता है ...
    प्रोत्साहन कुछ लोग देते हैं और कारवाँ जुड़ता जाता है ...
    आपका सहज व्यवहार और सादगी भरा लेखन आकर्षित करता है ...
    आपकी सहज टिप्पणियाँ आपके ब्लॉग से जुड़ने को प्रोत्साहित करता हैं ...
    ऐसे ही लिखते रहें ... बहुत शुभकामनाएँ ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय दिगम्बर जी - आपके उत्साहवर्धन भरे शब्द सदैव मनोबल बढाते हैं | सादर आभार और नमन |

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  16. प्रिय रेनू जी , बहुत दिल से लिखा गया आपका ये लेख ह्रदय को छू गया , आपका सहज लेखन व् प्रेमपूर्ण व्यवहार सबको अपनेपन से भर देता हैं ... लिखती रहिये ,आप्के इस ब्लॉग का डिजाइन बहुत अच्छा है ,
    हार्दिक शुभकामनाएं

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    उत्तर
    1. आदरणीय वन्दना जी -- आज आपके ब्लॉग पर स्वछन्द भ्रमण ने मुझे आह्लादित कर दिया | आप जैसे स्नेही लोगों के स्नेह ने मेरी रचना यात्रा को बहुत ही सुखद बनाया है | आपने ब्लॉग पर आकर मेरा मान बढ़ाया आभारी रहूंगी | सादर और सस्नेह आभार आपके निरंतर सहयोग और उत्साहवर्धन के लिए |

      हटाएं
  17. हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ...

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    1. प्रिय अंकित जी -- सुस्वागतम और सस्नेह आभार |

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  18. रेणु दी, आप इसी तरह आगे बढ़ती रहे यहीं शुभकामनाएं।

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  19. आपकी इस एक साल की यात्रा को पढ़ा और पढ़ कर बहुत अच्छा लगा साथ ही साथ बड़ी हिम्मत आयी कि आपने अपना लेखन कैसे शुरू किया, क्योंकि में भी एक दो साल से सोच ही रहा था पर अभी तक कोई रास्ता ही समझ नही आ रहा था, पर इन दिनों समा भी है और दस्तूर भी हालांकि मैं इतना सटीक नही लिख पाता और अभी अभी अपना लेखन शुरू किया, पर आपकी इस एक साल की यात्रा को पढ़ कर मुझे और प्रेरणा मिली है, जिसके लिये आपको कोटि कोटि नमन। और मैं चाहता हूँ कि आप मेरे लेख पढ़ें और मेरा मार्गदर्शन भी करें क्योंकि आप जैसे व्यक्तित्वों की मुझे अति आवस्यकता है और आप भी बताए कि में अपने लेखन मैं कैसे आगे बड़ सकता हूँ। आपके मार्गदर्शन का अभिलाषी।

    धन्यवाद

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    एक नई सोच
    मुकेश खेतवानी
    दिल्ली

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  20. प्रिय मुकेश जी , सबसे पहले आपका हार्दिक स्वागत है मेरे ब्लॉग पर |आपने मेरी रचना यात्रा को पढ़ा ये मेरे लिए अत्यंत हर्ष का विषय है | किसी भी रचना यात्रा पर हम सब पहले नये ही होते हैं | धीरे- धीरे अनुभव प्राप्त करते हुए हम आगे बढ़ते हैं | सीखने की ललक और मेहनत हमें आगे बढाती है - मेरा बस यही अनुभव है | अलग -अलग ब्लॉग पर भ्रमण करें और सबसे सीखते रहें | क्योंकि अच्छा लिखने के लिए एक अच्छा पाठक होना बहुत जरूरी है | दसरे ये लाभ होगा जब ब्लॉगों पर आप जायेंगे तो सब लोग आपको पहचानने भी लगेंगे | मैं जरुर शीघ्र आपके ब्लॉग पर आकर विस्तार से देखूंगी | आपके लेखन के लिए आपको मेरी शुभकामनाएं और इतनी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह हार्दिक आभार |
    मेरे दुसरे ब्लॉग पर भी आपका हार्दिक स्वागत है --
    https://renuskshitij.blogspot.com/

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  21. आपका ब्लॉग तो इस आभासी जगत रूपी कोष का एक अनमोल रत्न है रेणु जी तथा यह मेरी ही हानि है कि मुझे इस तक आने में इतना विलम्ब हुआ | और बड़ी सच्ची बात है यह कि - जब तक बिका न था तो कोई पूछता ना था, तू ने ख़रीद कर मुझे अनमोल कर दिया |

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    उत्तर
    1. ब्लॉग पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति और भावपूर्ण प्रतिक्रियाओं के लिए हार्दिक आभार जितेन्द्र जी | सच है जब कोई गुरु तुल्य मार्गदर्शन देकर हमें मंजिल का पथ दिखा देता है वो पल अनमोल होता है और वहीँ जीवन सार्थकता पा लेता है | पुनः आभार आपके इन स्नेहिल उद्गारों का | |

      हटाएं
  22. आदरणीया मैम,
    आपका यह लेख पढ़ कर आपको और अधिक जानने का अवसर मिला। मेरे मन में आपके प्रति जो आदर एयर लगाव है वो इसे पढ़ कर और भी कई गुना बढ़ गया।
    आपका ब्लॉगिंग जगत में होना तो हम सब के लिये सौभाग्य है, विशेष कर मेरे जैसे युवाओं के लिये जिन्हें आपका आशीष प्रोत्साहन मिलेगा।
    आप जिस प्रकार मुझे प्रोत्साहित करतीं हैं और जो अपनत्व मुझे देतीं हैं, वह मेरे लिए बहुत अमूल्य है। आपको बार-बार नमन ।

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    उत्तर
    1. प्रिय अनंता , तुम्हारे इस स्नेहिल व्यवहार से मैं अभिभूत हूँ और मुझे तुम्हारी इस मासूमियत के आगे कुछ लिखना बहुत कठिन लगता है | तुम प्रतिभाशाली और विनम्र और जिज्ञासु हो | माँ सरस्वती तुम्हें बुरी नज़र से बचाए और नित तुम्हारा मार्ग अपनी अनुकम्पा से प्रशस्त करते हुए तुम्हारे लेखनी को जीवंत रखे | हमेशा खुश रहो | मेरा प्यार और शुभकामनाएं|

      हटाएं
  23. आपका लेख पढ़ा,आपको पढ़के हमेशा एक जमीनी अनुभूति होती है,लगता है, कि मैं एक छोटी कक्षा की विद्यार्थी हूं,और एक शिक्षक सच्चाई के साथ अपने मार्ग पर चलने की प्रेरण दे रहा है,वो कहता है कि सच्चाई और लगन से चलते रहो मार्ग अवश्य सुगम होगा ,बहुत सरस सुंदर लेख के लिए बहुत बधाई और शुभकामनाएं प्रिय रेणु जी💐💐

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    उत्तर
    1. हार्दिक आभार प्रिय जिज्ञासा जी, इस स्नेहासिक्त प्रतिक्रिया के लिए।

      हटाएं

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